संवाददाता: सादिक अली, डूँगरपुर |
डूँगरपुर शहर के रेती स्टैंड क्षेत्र में पार्क के लिए आरक्षित तथा विवादित बेशकीमती सरकारी भूमि पर होटल संचालक द्वारा अवैध निर्माण कार्य जारी है। इस मामले को लेकर पूर्व में नगरपरिषद, उपखंड अधिकारी व जिला प्रशासन को कई बार शिकायत दी जा चुकी है, बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। यही नहीं, यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) डूँगरपुर कार्यालय में भी विचाराधीन है, जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे।
ACB की जांच के बीच दोबारा शुरू हुआ निर्माण कार्य
जानकारी के अनुसार, अनीता माया ट्रावेल्स के पीछे स्थित इस भूमि पर होटल संचालक ललित पंवार द्वारा दोबारा निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। जबकि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा जारी पत्र दिनांक 7 मार्च 2025 को पट्टा क्रमांक 43/2013 पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए थे। प्रकरण संख्या 166/2019/812 के तहत भूखंड संख्या 1 से 34 एवं पार्क के लिए प्रस्तावित भूमि की जांच जारी है।
गलत दस्तावेजों के आधार पर बनवाया गया था अवैध पट्टा
शिकायतकर्ता का आरोप है कि होटल संचालक ललित पंवार ने गलत दस्तावेजों के आधार पर नगरपरिषद से पट्टा क्रमांक 43/2013 जारी करवाया, जो खसरा संख्या 889 यानी पार्क के लिए आरक्षित भूमि पर अवैध रूप से बना है। नगरपरिषद व ACB की जांच में भी यह पुष्टि हो चुकी है।
नगरपरिषद की कार्यवाही केवल खानापूर्ति तक सीमित
सोमवार को शिकायत मिलने के बाद नगरपरिषद की टीम मौके पर पहुंची और निर्माण कार्य रुकवाने की खानापूर्ति कर चली गई। लेकिन मंगलवार को ललित पंवार द्वारा निर्माण कार्य पुनः प्रारंभ कर दिया गया। यह पहला मौका नहीं है जब नगरपरिषद ने कार्य रुकवाया हो — इससे पूर्व भी दो बार निर्माण कार्य रोकने के आदेश दिए जा चुके हैं, मगर उनका पालन नहीं हुआ।
बार-बार की गई शिकायतें, प्रशासन अब भी मौन
शिकायतकर्ता ने बताया कि नगरपरिषद को दिनांक 5, 7, 18 और 26 मार्च 2025 को शिकायत पत्र दिए गए। इसके बावजूद अब तक कोई स्थायी व सख्त कदम नहीं उठाया गया है, जिससे आरोपी के हौसले और बुलंद हो रहे हैं।
कार्रवाई की मांग तेज, प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
शिकायतकर्ता ने नगरपरिषद आयुक्त एवं उपखंड अधिकारी को लिखित पत्र देकर अवैध निर्माण को रोकने, पूर्व स्थिति कायम करने एवं ललित पंवार को पाबंद करने की मांग की है ताकि भविष्य में विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो। अब देखना यह होगा कि क्या नगरपरिषद व जिला प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।