पोकरण (जैसलमेर)। किशोर सोलंकी
पोकरण क्षेत्र की आंगनवाड़ियों में पोषण योजनाओं के नाम पर भारी अनियमितताओं और लापरवाही की पोल खुली है। थार क्रॉनिकल की टीम ने जब क्षेत्र के 7 आंगनवाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया तो सामने आया कि न तो केंद्रों पर बच्चे मौजूद थे, न रसोई की कोई व्यवस्था, और कई केंद्र तो बंद ही मिले। स्थानीय निवासियों से बातचीत में खुलासा हुआ कि कुछ केंद्र हफ्ते में केवल एक बार ही खुलते हैं।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, पोकरण क्षेत्र में कुल 15 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें 0 से 6 वर्ष तक के कुल 1,503 बच्चे, 101 गर्भवती महिलाएं, 44 स्तनपान कराने वाली महिलाएं, तथा 165 किशोरियाँ पंजीकृत हैं। इन सभी लाभार्थियों को भारत सरकार की एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) एवं राजस्थान सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत नियमित पोषण, स्वास्थ्य और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए।

बच्चों की अनुपस्थिति का खुलासा
थार क्रॉनिकल टीम द्वारा निरीक्षण किए गए 7 आंगनवाड़ी केंद्रों में से अधिकतर बंद पाए गए, वहीं जिन केंद्रों पर बोर्ड तो लगे थे, वहां बच्चे अनुपस्थित थे और भोजन अथवा नाश्ते की कोई व्यवस्था नहीं थी। कुछ केंद्रों पर न तो रसोई दिखी, न ही किसी प्रकार की किचन यूनिट मौजूद थी।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केवल हफ्ते में एक दिन आती हैं और कुछ देर रजिस्टर भरकर चली जाती हैं। इसके अलावा, CDPO कार्यालय से प्राप्त नामों और पतों की सूची का मिलान करने पर पाया गया कि 15 में से 8 आंगनवाड़ी केंद्र ऐसे हैं जो सूची में दर्ज पते पर संचालित नहीं हो रहे। इनमें से अधिकांश कार्यकर्ताओं ने अपने जहां वो रहती है वही का पता दे दिया या अन्य वार्ड का पता दिखा रखा है।

आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति बनाम सरकारी योजनाएं
सरकार द्वारा आंगनवाड़ियों के माध्यम से कई योजनाएं लागू की जाती हैं। पर पोकरण की जमीनी हकीकत इन योजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है।
1. मुख्यमंत्री अमृत आहार योजना
इस योजना के तहत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को सप्ताह में 5 दिन दूध दिया जाना आवश्यक है। निरीक्षण के दौरान किसी भी केंद्र पर दूध वितरण की कोई व्यवस्था नहीं मिली।
2. मुख्यमंत्री सुपोषण किट योजना
गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण किट (घी, मूंगफली, खजूर, मखाने आदि) प्रदान की जाती है। परंतु लाभार्थियों से बातचीत में सामने आया कि किट कभी समय पर नहीं मिली या कई बार मिली ही नहीं।
3. सप्लिमेंट्री न्यूट्रिशन प्रोग्राम (SNP)
इस योजना के तहत 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को घर जाकर एक सप्ताह में एक बार पोषण आहार देना अनिवार्य है, जबकि 3 से 6 वर्ष के बच्चों को केंद्र पर बुलाकर नाश्ता और दूध देना होता है। थार क्रॉनिकल की पड़ताल में यह व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित नजर आई।
4. इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना (IGMPY)
दूसरी संतान पर गर्भवती महिलाओं को ₹6,000 की आर्थिक सहायता पांच किश्तों में दी जाती है।
5. प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY)
पहली बार गर्भवती महिलाओं को ₹5,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। पंजीकरण आंगनवाड़ी केंद्र से ही होता है, लेकिन केंद्रों के बंद रहने से लाभार्थियों को समस्या का सामना करना पड़ता है।
6. पोषण ट्रैकर एवं फेस रिकॉग्निशन सिस्टम
राजस्थान सरकार द्वारा पोषण ट्रैकर और FRS (Face Recognition System) लागू किया गया है ताकि डिजिटल निगरानी हो सके। लेकिन पोकरण क्षेत्र में जब आंगनवाड़ी केंद्र ही बंद मिले, तो डिजिटल उपस्थिति और वितरण डेटा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

पोकरण के केंद्रों की कुल पंजीकृत स्थिति (CDPO कार्यालय अनुसार):
श्रेणी | संख्या |
---|---|
0-6 माह के शिशु | 37 |
6 माह – 3 वर्ष के बच्चे | 553 |
3 वर्ष – 6 वर्ष के बच्चे | 950 |
गर्भवती महिलाएं | 101 |
स्तनपान कराने वाली महिलाएं | 44 |
किशोरियाँ | 165 |
स्थानीय नागरिकों की शिकायतें
कई वार्डों के लोगों का कहना है कि केंद्रों पर बच्चों की नियमित उपस्थिति कभी नहीं देखी गई। बताया—
“यहां आंगनवाड़ी केंद्र तो है, लेकिन बच्चा दिखे तो गिन कर दिखाएं। न दूध मिला, न खाना। हम तो सोचते हैं ये सब कागज़ी खेल है।”

प्रशासन की चुप्पी, योजनाओं की अवहेलना
सरकारी फाइलों में पोषण योजनाओं के तहत बच्चों और महिलाओं को सम्पूर्ण पोषण और सेवाएं दी जा रही हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिन योजनाओं पर हर वर्ष करोड़ों का बजट स्वीकृत होता है, अगर वे धरातल पर नहीं पहुंच रही हैं, तो यह न केवल सरकारी व्यवस्था की असफलता है, बल्कि योजना के नाम पर चल रहे संभावित घोटाले की ओर इशारा भी।
प्रशासन का बयान
आंगनवाड़ी केंद्रों की वास्तविक स्थिति को लेकर जब थार क्रॉनिकल ने बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO), पोकरण करण सिंह राठौड़ से बात की, तो उन्होंने कहा:
“अगर आंगनवाड़ी बंद है तो महिला प्रवेशक के माध्यम से हम इसकी जांच करवाएंगे और जो भी उचित कार्यवाही होगी, उसको अमल में लाया जाएगा।”
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