पोकरण का सबसे बड़ा स्कूल मैदान बदहाल, प्रशासन की अनदेखी बनी खतरे की वजह

आज़ादी दिवस से पहले खस्ताहाल विद्यालय का मैदान सवालों के घेरे में, कचरे का ढेर, टूटी दीवारें, खुले में शौच और पानी से भरे मैदान की तस्वीरें शर्मसार कर रहीं पोकरण को

pokaran
📍 स्थान: पोकरण (जैसलमेर)। किशोर सोलंकी

पोकरण जिला चिकित्सालय के सामने स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पोकरण का मैदान पूरे शहर का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्थल माना जाता है। 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों के कार्यक्रमों से लेकर रावण दहन और सांस्कृतिक उत्सवों तक, इसी मैदान में हर वर्ष हजारों की संख्या में स्थानीय लोग और देश-विदेश से आए मेहमान शामिल होते हैं।

यह वही मैदान है, जहां से जैसलमेर के प्रसिद्ध मरु महोत्सव की शुरुआत होती है। इतने गौरवपूर्ण आयोजनों के बावजूद, इस मैदान की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।


कचरे का बड़ा ढेर से प्लास्टिक थैलियों को आवारा गायें खा रही

मैदान में फैला कचरा बना पर्यावरण और पशुओं के लिए खतरा

मैदान के मुख्य द्वार के दाहिनी ओर नजर दौड़ाते ही कचरे का बड़ा ढेर दिखाई देता है। इसमें सड़ी-गली सब्जियां, प्लास्टिक थैलियां, होटल जूठन और अन्य गंदगी देखने को मिलती है।

हालांकि राज्य सरकार ने प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, फिर भी यह खुलेआम बिक रही हैं। इस कचरे को आवारा गायें खा रही हैं, जो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यह प्रशासन की सीधी लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है।


स्कूल मैदान का मुख्य गेट ओर गेट पर बना कचरे का ढेर।

खुले में शौच बना मैदान की दीवारों की नियति

मैदान के पिछले हिस्से में दीवार के पास जगह को लोगों ने खुले में शौच और पेशाब करने का स्थायी स्थान बना लिया है। दीवार पर साफ तौर पर लिखा है —

"यहां पेशाब करना मना है, ₹500 जुर्माना।"

लेकिन इस चेतावनी का कोई असर नहीं है। आम जनता और दुकानदार खुलेआम इसी स्थान पर पेशाब कर रहे हैं। इससे न केवल स्वच्छ भारत मिशन की भावना को ठेस पहुंच रही है, बल्कि स्कूल के छात्रों और कार्यक्रमों में आने वाली भीड़ के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।



पोकरण नगर पालिका का 4.5 वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा?पोकरण नगर पालिका ने बीते साढ़े चार वर्षों में शहर की साफ-सफाई, जल व्यवस्था, सड़कें, रोशनी, और अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर क्या काम किया? Thar Chronicle जानना चाहता है – आपकी राय, जो जनहित में ज़रूरी है।


स्कूल की दीवार नीचे से टूटी हुई और बारिश के पानी से दीवार के अंदर सीमेंट ओर बार की टीप टूटी हूवी।

टूटी दीवारें बनी हादसे का न्योता

मैदान के चारों ओर बनी सुरक्षा दीवारें जर्जर अवस्था में हैं। प्रवेश गेट से कुछ ही दूरी पर दाहिनी ओर की दीवार नीचे से पूरी तरह से टूट चुकी है। यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है, विशेष रूप से 15 अगस्त जैसे कार्यक्रमों के दौरान जब सैकड़ों विद्यार्थी, शिक्षक और आमजन मैदान में होते हैं।

अगर समय रहते मरम्मत नहीं हुई तो यह दीवार किसी भी वक्त गिर सकती है, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है।


मैदान के अंदर पानी भरा हुवा।

बारिश में मैदान बन जाता है तालाब

हर वर्ष बरसात के मौसम में यह मैदान खेल का मैदान न होकर तालाब का रूप ले लेता है। मैदान में चारों ओर पानी भर जाता है, जिससे जगह-जगह कीचड़ हो जाती है।

नगर पालिका द्वारा रेत डलवाने या जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की जाती, जिससे आयोजन प्रभावित होते हैं। अब देखना है कि इस 15 अगस्त को भी लोग कीचड़ में खड़े होकर देशभक्ति गीत गाएंगे या प्रशासन समय रहते मैदान को व्यवस्थित करेगा


रामदेवरा मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बनी शर्मनाक तस्वीर

बाबा रामदेव जी का मेला शुरू हो चुका है। हर साल लाखों श्रद्धालु पोकरण होते हुए रामदेवरा पहुंचते हैं। रास्ते में कई श्रद्धालु बालीनाथ जी के मंदिर और पोकरण किला देखने और ठहरने इस मैदान में आते हैं।

लेकिन जब यह श्रद्धालु मैदान की बदहाली, गंदगी, टूटी दीवारें और खुले में शौच जैसी स्थिति देखते हैं, तो यह पोकरण के पर्यटन और धार्मिक गौरव पर कलंक बन जाता है।


रामदेवरा पंचायत ने दिखाई तत्परता, लेकिन पोकरण पालिका उदासीन

जहां रामदेवरा ग्राम पंचायत द्वारा रामदेव मेला को लेकर अतिक्रमण हटाने, स्वच्छता अभियान और व्यवस्थाओं पर कार्य शुरू कर दिया गया है, वहीं पोकरण नगर पालिका की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।

पोकरण पालिका का रवैया शहर की छवि को खराब कर रहा है।


EO झबर सिंह बोले – “नगर पालिका क्या कर सकती है?”

जब पोकरण नगर पालिका के ईओ झबर सिंह से बाबा रामदेवजी के मेले को तैयारियों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कहा:

"यह तो पुलिस और प्रशासन का कार्य है, नगर पालिका क्या करे?"

इस जवाब ने यह स्पष्ट कर दिया कि नगर पालिका जिम्मेदारी लेने से बच रही है, जबकि साफ-सफाई और सुविधाएं उपलब्ध कराना पालिका की ही प्राथमिक जिम्मेदारी है।


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