कुलदीप छंगाणी : जैसलमेर
झालावाड़ जिले के मनोहरथाना में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया है। स्कूल भवन की बदहाली ने यह साबित कर दिया कि सरकारी ढांचे की अनदेखी अब जानलेवा बनती जा रही है। राज्यभर में शोक और गुस्से का माहौल है।

प्रदेश में सरकारी स्कूलों के खराब हालातों पर बहस तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जिले के सभी सरकारी भवनों, विशेषकर स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों का तत्काल निरीक्षण कर मरम्मत के निर्देश दिए हैं। वहीं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सभी सांसदों और विधायकों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे अपनी विधायक/सांसद निधि से अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सार्वजनिक भवनों की मरम्मत और सुधार कार्यों के लिए धन आवंटित करें। डोटासरा का कहना है कि ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जानी चाहिए और बच्चों की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

लेकिन इस दर्दनाक घटना के बाद पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी का एक निर्णय सवालों के घेरे में आ गया है। दरअसल महंत प्रतापपुरी ने बीते कुछ दिन पूर्व अपनी विधायक निधि से 75 लाख रुपए आरएसएस द्वारा संचालित विद्या भारती के विभिन्न स्कूलों को दिए हैं। इसमें आदर्श शिक्षण संस्थान पोकरण को 20 लाख रुपए, नोख को 15 लाख रुपए, फलसुंड को 10 लाख रुपए, सांकड़ा को 10 लाख रुपए, रामदेवरा को 10 लाख रुपए और नाचना को 10 लाख रुपए भवन निर्माण हेतु स्वीकृत किए गए। जानकारी के मुताबिक यह राशि स्वीकृति के लिए जिला परिषद जैसलमेर को भेजी गई है और जल्द ही जिला परिषद इसकी वित्तीय स्वीकृति जारी कर देगा।
अब यह सवाल उठ रहा है कि जब सरकारी स्कूलों की छतें गिर रही हैं, मासूम बच्चे मर रहे हैं, तब एक जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? क्या विधायक निधि का उद्देश्य गैर सरकारी संस्थाओं को मजबूत करना है या सरकारी ढांचे को बचाना?
गौरतलब है कि आदर्श शिक्षण संस्थान स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से शिक्षण शुल्क प्राप्त किया जाता है, जो कि संस्था की संस्थागत जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है। ऐसे में पोकरण के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालात को अनदेखा कर गैर सरकारी संस्था को प्राथमिकता देना लोगों को विधायक निधि का दुरुपयोग नजर आ रहा है।
थार क्रॉनिकल की टीम ने पोकरण विधानसभा के सरकारी स्कूलों की हालत का जायजा लिया तो स्थितियां भयावह नजर आईं।


राजकीय प्राथमिक विद्यालय नईगुड़ी का भवन कई साल पहले बना था, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। इसके कमरों की छत कभी भी गिरकर किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है।
लाठी गांव में ईदगाह के पास संचालित सरकारी प्राथमिक विद्यालय भी खस्ताहाल है और मरम्मत की सख्त जरूरत है।


वहीं ग्राम पंचायत के मोराणी गांव में बना पुराना आंगनबाड़ी केंद्र कभी भी गिर सकता है। केंद्र की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें हैं और दीवारों से पत्थर बाहर निकल चुके हैं। बारिश के मौसम में आवारा पशु इसके अंदर चले जाते हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि अभी इस केंद्र में आंगनबाड़ी संचालित नहीं हो रही है।


राजकीय प्राथमिक विद्यालय पनवा नाडा, सोहनपुरा फलसुंड की हालत भी गंभीर है। छत से पानी टपकता है और छत पर लगी पत्थर की पट्टियों में दरारें आ चुकी हैं।


फलसुंड के पारासर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति भी बेहद जर्जर है। ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 10 वर्षों से इसकी मरम्मत की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। फिलहाल यह आंगनबाड़ी केंद्र किसी अन्य स्थान पर संचालित हो रहा है।


ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र और राजकीय विद्यालय पोकरण विधानसभा क्षेत्र में जर्जर हालत में हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। अब यह तय विधायक को करना है कि वो अपने सरकारी मद का प्रयोग दांव पर लगी बच्चों की ज़िंदगी को बचाने में करते है या अन्य किसी गैर सरकारी संस्थान के पोषित करने में ।
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