डूंगरपुर | संवाददाता: सादिक अली
बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत ने संसद में सिकल सेल जैसी गंभीर आनुवांशिक बीमारी को लेकर तारांकित प्रश्न उठाया। उन्होंने बताया कि राजस्थान के 9 आदिवासी बहुल जिलों में इस बीमारी से निपटने के लिए ₹29.09 करोड़ खर्च किए गए, जबकि अब तक 2735 रोगियों की पहचान की गई है।
यह राशि मुख्यतः जांच, जेनेटिक काउंसलिंग, ID कार्ड और उपचार जैसे कार्यों पर खर्च की गई है।
जिला-वार खर्च और उपयोग का ब्यौरा
| जिला | अनुमोदित राशि | उपयोग की गई राशि |
|---|---|---|
| बांसवाड़ा | ₹9,41,74,400 | ₹8,03,18,400 |
| डूंगरपुर | ₹7,57,48,000 | ₹6,31,29,200 |
| प्रतापगढ़ | ₹3,80,48,200 | ₹3,36,47,200 |
| उदयपुर | ₹10,01,89,500 | ₹8,94,23,800 |
| सिरोही | ₹1,45,94,800 | ₹1,33,05,300 |
| राजसमंद | ₹10,70,100 | ₹9,57,300 |
| चित्तौड़गढ़ | ₹11,16,000 | ₹9,65,300 |
| पाली | ₹36,56,000 | ₹33,61,500 |
| बारां | ₹84,23,000 | ₹58,62,500 |
PM मिशन और अब तक की प्रगति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (NSCAEM) की शुरुआत की गई थी। इसके तहत 2025-26 तक 0-40 वर्ष आयु वर्ग के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य है।
28 जुलाई 2025 तक 17 चिन्हित राज्यों में 6.04 करोड़ लोगों की जांच की जा चुकी है, जिसमें से 2.16 लाख मरीजों की पहचान हुई है।
सांसद की मांग: पारदर्शिता व सहायता जरूरी
सांसद राजकुमार रोत ने सवाल उठाया कि सरकारी फंड का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा? उन्होंने मांग की कि:
- सभी लोगों की सैम्पलिंग सुनिश्चित की जाए
- चिन्हित मरीजों को समय-समय पर परामर्श और दवाएं उपलब्ध कराई जाएं
- सिलिकोसिस की तर्ज पर सिकल सेल मरीजों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाए
उन्होंने कहा कि इस दिशा में भ्रष्टाचार की संभावनाओं की जांच भी होनी चाहिए ताकि सरकारी प्रयास पीड़ितों तक वास्तविक रूप में पहुंचें।
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