पोकरण (जैसलमेर)। किशोर सोलंकी
पोकरण शहर में बाबा रामदेव मेले की शुरुआत के साथ ही एक बड़ा अतिक्रमण सामने आया है। बीते दो माह से रामपोल गेट के आगे टीन शेड और सफेद पर्दे के पीछे छुपा निर्माण अब पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। यह स्थान पोकरण के ऐतिहासिक परकोटे (नगर सीमा) का द्वार है — जिसे शहर की पहचान और हेरिटेज पॉइंट माना जाता है। अब इसी ऐतिहासिक गेट के सामने बनी ‘जोधाणा स्वीट एंड रेस्टोरेंट’ पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दो महीने से छुपा था निर्माण, अब खुला पर्दा
सदर बाजार रोड और जाने वाले मार्ग पर, रामपोल गेट के बिल्कुल पास, बीते दो महीने से सफेद कपड़े से ढककर अंदर निर्माण कार्य चल रहा था। स्थानीय मीडिया और नागरिकों द्वारा “पर्दे के पीछे क्या हो रहा है?” जैसे सवाल उठाए गए, लेकिन प्रशासन खामोश रहा।
अब जब उद्घाटन हो गया है, तो यह स्पष्ट हो गया कि नगर पालिका की बेशकीमती भूमि पर बिना अनुमति के रेस्टोरेंट बनाया गया, जिसका नाम ‘जोधाणा स्वीट एंड रेस्टोरेंट’ रखा गया है।

हेरिटेज पॉइंट पर अतिक्रमण, पोकरण की पहचान पर संकट
रामपोल कोई साधारण स्थान नहीं, बल्कि पोकरण के ऐतिहासिक परकोटे का प्रमुख द्वार है। यह गेट न केवल शहर की विरासत का हिस्सा है, बल्कि हजारों पर्यटकों और रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
अब इस द्वार के आगे हुए निर्माण ने उसकी सुंदरता, दृश्यता और उपयोगिता — तीनों को बाधित किया है।
रामदेवरा में हटे अतिक्रमण, पोकरण में बढ़े
रामदेवरा मेले को लेकर प्रशासन ने वहां सैकड़ों दुकानों व धर्मशालाओं के आगे से अतिक्रमण हटाया। लेकिन पोकरण में ठीक इसके उलट — नगर की मुख्य भूमि पर अतिक्रमण बढ़ गया।
स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है कि जिस स्थान पर पहले एक व्यक्ति का छोटा केबिन हटाया गया था, आज वहां बड़ा व्यावसायिक निर्माण कैसे हो गया?

बाजार में चर्चा: क्या किसी रसूखदार का संरक्षण?
इस रेस्टोरेंट का उद्घाटन आज पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी जी के हाथों हुआ। यह देखकर अब स्थानीय जनता यह सवाल उठा रही है कि आखिर इतने लंबे समय तक बिना अनुमति निर्माण कैसे चलता रहा? क्या इसके पीछे किसी बड़े राजनेता या प्रशासनिक गठजोड़ का हाथ है?
पार्किंग भूमि भी गई, गांधी चौक से सीधा संबंध
रामपोल के पास की यह जगह आम लोगों द्वारा गांधी चौक की पार्किंग के लिए उपयोग की जाती रही है, क्योंकि गांधी चौक क्षेत्र में गाड़ियां प्रवेश नहीं कर सकतीं। अब यहां रेस्टोरेंट बनने से यह सुविधा भी खत्म हो गई है।
इससे नगर की यातायात व्यवस्था और पर्यटकों की सुविधा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

पर्यटन को बढ़ावा या विघटन?
राज्य सरकार और स्थानीय निकाय जहां पोकरण को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर की धरोहरों के सामने इस प्रकार के अतिक्रमण पूरे प्रयासों को झुठलाते प्रतीत हो रहे हैं।
रामपोल, जो परकोटे की पाँच ऐतिहासिक पोलों में से एक है, अब उसकी मूल पहचान भी संकट में आ गई है।
प्रशासन मौन, कार्रवाई की प्रतीक्षा
नगर पालिका की जमीन पर बिना अनुमति दो महीने तक निर्माण चलता रहा, फिर भी प्रशासन न केवल चुप रहा बल्कि अब उद्घाटन के बाद भी कोई स्पष्ट रुख नहीं दिखा रहा है।
अब देखना है कि क्या पोकरण की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित किया जाएगा या अतिक्रमण को स्थायी रूप दे दिया जाएगा।
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