पीसांगन (अजमेर) / संवाददाता – ओमप्रकाश चौधरी
पीसांगन पुलिस ने अपराधियों की धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत दो वर्षों से फरार चल रहे दो ईनामी आरोपितों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। दोनों ही आरोपित थाने की टॉप टेन वांछित सूची में शामिल थे तथा प्रत्येक पर 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
मामला: फर्जी दस्तावेजों से बेची गई मृतक की ज़मीन
थानाधिकारी प्रहलाद सहाय ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला वर्ष 2010 का है, जब उपखंड क्षेत्र के मोतीसर गांव की दो महिलाओं — आफूदेवी और सोहनीदेवी — की कृषि भूमि को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनके मृत पिता बींजा के नाम से बेचा गया था।
इस संबंध में दोनों महिलाओं ने 18 फरवरी 2023 को थाने में रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें उल्लेख किया गया कि आरोपितों ने मिलकर कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से 1 करोड़ 40 लाख रुपये में कृषि भूमि का फर्जी सौदा किया।
इस गंभीर प्रकरण की जांच तत्कालीन थानाधिकारी नरपतराम बाना द्वारा प्रारंभ की गई थी, जिसे आगे बढ़ाते हुए वर्तमान थानाधिकारी प्रहलाद सहाय ने दो वर्षों से फरार चल रहे मुख्य आरोपितों की गिरफ्तारी को अंजाम दिया।
गिरफ्तार आरोपित
- इंद्रजीत कोली – उम्र 41 वर्ष, निवासी चांद डेयरी के पास, धोलाभाटा, थाना अलवरगेट, अजमेर।
- ताराचंद रेगर – उम्र 40 वर्ष, निवासी भैरूंदा, थाना थांवला, जिला नागौर।
दोनों आरोपितों ने मिलकर मृतक व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज तैयार कर न केवल ज़मीन बेची, बल्कि बड़े आर्थिक घोटाले को भी अंजाम दिया।
पुलिस टीम की मुस्तैदी
थानाधिकारी प्रहलाद सहाय के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई, जिसमें शामिल थे:
- हेड कांस्टेबल गणेशराम सामरिया
- कांस्टेबल प्रकाश जाखड़
- कांस्टेबल रामाकिशन भांबू
- कांस्टेबल शाहरूख खान
- कांस्टेबल कुशाल पचार
- कांस्टेबल राजेन्द्र थांकण
इस टीम ने लगातार कड़ी मेहनत और तफ्तीश करते हुए तकनीकी सूचनाओं और खुफिया जानकारी के आधार पर आरोपितों की सही लोकेशन का पता लगाया और उन्हें डिटेन कर बाद अनुसंधान गिरफ्तार किया।
न्यायालय में पेशी और जेल
गिरफ्तार किए गए आरोपितों को आवश्यक पूछताछ और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के पश्चात न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए गए।
पीसांगन पुलिस की इस कार्रवाई को क्षेत्र में कानून व्यवस्था के प्रति गंभीरता और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे मामलों में पुलिस की सक्रियता से न केवल आमजन में विश्वास बढ़ा है, बल्कि अपराधियों में भी भय का माहौल बना है।
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