डूंगरपुर में “गुरुवंदन छात्र अभिनंदन” कार्यक्रम का भव्य आयोजन, गुरु-शिष्य परंपरा को मिला सम्मान

📍स्थान: डूंगरपुर, राजस्थान ✍ रिपोर्ट: सादिक़ अली

भारत विकास परिषद की तिलक शाखा द्वारा डूंगरपुर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक श्री किशनलाल गर्ग विद्यालय, पिन्हे नं. 2 में “गुरुवंदन छात्र अभिनंदन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देना और छात्रों में शिक्षकों के प्रति श्रद्धा जाग्रत करना रहा।


मुख्य अतिथि और अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति

इस आयोजन में भाजपा जिला अध्यक्ष पंकज जैन मुख्य अतिथि रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मुकेश श्रीमाल ने की। विशिष्ट अतिथि मोनी जैन, चिराग व्यास, पंकज नवकार, हीरालाल पटेल, विनय पदम, कुमार जैन, गजेंद्र श्रीमाल और प्रवीण श्रीमाल की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।


गुरु की महिमा पर प्रेरणादायक वक्तव्य

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. प्रकृति पंड्या ‘रुद्रकृति’ ने छत्रपति शिवाजी और गुरु समर्थ रामदास के प्रसंग के माध्यम से गुरु की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने दोहे “गुरु धोबी सिस्य कापड़ा, साबुन सिरजनहार” के माध्यम से ज्ञान और मार्गदर्शन की महत्ता बताई। संचालन भी डॉ. पंड्या ने ही किया।


गुरु व शिष्य सम्मानित: परंपरा और प्रेरणा का संगम

विद्यालय के शिक्षकों एवं विशिष्ट छात्रों का शॉल, पगड़ी, प्रतीक चिह्न और उपरणा पहनाकर अभिनंदन किया गया।
विनोद चौबीसा, धीरज टेलर, राजेश कटारा, लिना उपाध्याय, सुमित्रा मीणा सहित अन्य शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।


पंकज जैन का वादा – स्कूल समस्याओं का होगा समाधान

मुख्य अतिथि पंकज जैन ने विद्यालय में रिक्त पद, डोम व्यवस्था और अन्य समस्याओं के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने गुरुओं और छात्रों को राष्ट्र निर्माण में सबसे अहम स्तंभ बताया।


गुरु शिष्य परंपरा: भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि

कार्यक्रम अध्यक्ष मुकेश श्रीमाल ने अपने उद्बोधन में कहा, “गुरु वही दीप है जो अज्ञान के अंधकार में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।” उन्होंने छात्रों को अनुशासन, नम्रता, परिश्रम और जिज्ञासा को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।


11000 रुपये की सहयोग राशि की घोषणा

समापन सत्र में मोनी जैन ने विद्यालय के खेल टूर्नामेंट के लिए ₹11,000/- सहयोग राशि देने की घोषणा की, जिससे उपस्थित शिक्षकों और विद्यार्थियों में उत्साह की लहर दौड़ गई।


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