प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के विजन का शहर बना दक्षिण राजस्थान का डूंगरपुर नगर -के के गुप्ता

राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में पाँचवीं बार पुरस्कार जीता - के के गुप्ता

डूँगरपुर/ संवाददाता-सादिक़ अली

नई दिल्ली/ जयपुर/उदयपुर/डूंगरपुर

राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार पाँचवीं बार पुरस्कार जीत कर और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के विजन का शहर बन दक्षिण राजस्थान के आदिवासी अंचल का ऐतिहासिक डूंगरपुर नगर पूरे भारत में चर्चित हो रहा है।

राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन (ग्रामीण ) के राजस्थान प्रदेश समन्वयक और डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के के गुप्ता ने राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार पाँचवीं बार पुरस्कार जीतने के लिए डूंगरपुर नगर परिषद की टीम और डूंगरपुर शहर वासियों को अपनी बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में नगरवासियों के सहयोग से उन्होंने स्वच्छता का जो पौधा रौपा था आज वह वटवृक्ष बनकर फल दे रहा है।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को देश की राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में सुपर लीग सिटी पुरस्कार से सम्मानित किया है।

गुप्ता ने कहा कि डूंगरपुर और इंदौर की तरह स्वच्छता के लिए हर शहर वासियों को स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना चाहिए ।शहर का कोई व्यक्ति खुले में कचरा ना डालें , 365 दिन नियमित गीला एवं सूखा कचरा अलग-अलग टाइम बाउंड उठना चाहिए तथा शहर का छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को स्वच्छता की ताकत को समझना चाहिए वह स्वयं तो कचरा न डाले परंतु आमजन को भी खुले में कचरा ना डालने दे यह विजन पैदा करने की आवश्यकता है। यह कार्य डूंगरपुर वासियों एवं शहर में पढ़ने वाले 22373 बच्चों ने पूरे देश को करके दिखाया है। यहां यह भी आवश्यक है की जनसंख्या स्वच्छता को प्रभावित नहीं करती है आज राजस्थान में डूंगरपुर से भी छोटी निकाय एवं मध्य प्रदेश की इंदौर निकाय जिसकी जनसंख्या 28.71 लाख होने के बाद भी देश के लिए लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आना कोई साधारण बात नहीं है।

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बार-बार स्वच्छता का संदेश तथा ताकत का वर्णन करना किसी विकसित देश के हर नागरिक को सोचने को मजबूर करता है। 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर राजघाट पर यह करना कि देश का हर नागरिक सोच ले कि मुझे हिंदुस्तान को स्वच्छ बनाना है तो दुनिया की कोई ताकत देश को गंदा नहीं कर सकती। न गंदगी करेंगे नहीं करने देंगे तथा इसे राष्ट्र वापी आंदोलन बनाना है।
उन्होंने हर सप्ताह 2 घंटे तथा प्रतिवर्ष 100 घंटा स्वच्छता के लिए कार्य करने का आग्रह किया। शौचालयो के निर्माण करवाना तथा व्यवहार भी बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा महिलाओं को दिया सम्मान उन्हें सुरक्षा और गरिमा मिलने लगी। देश को समृद्ध, विकसित भारत एवं विश्व गुरु बनाने से पहले स्वच्छ भारत बनाना होगा।

गुप्ता ने कहा है कि जो शहर स्वच्छता में सम्मानित हुए हैं उनके अंदर भारी उत्साह एवं उमंग है और कुछ शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण में आगे आने का उत्साह है लेकिन कुछ निकाय जिन्होंने कोई कार्य नहीं किया उनमें मातम छा रहा है। अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि एक दुसरे पर आरोप एवं जनता पर दोष आरोपित करने का कार्य बड़ी खूबी से कर रहे हैं जबकि कई निकायों में लंबे समय से जनप्रतिनिधि नहीं होने से अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नही हो सकते है। आज की परिस्थितियों में वास्तव में देखा जाए तो एक बात सत्य है अधिकारी सोचता है मैं क्यों मेहनत करूं मेरा पता नहीं कब ट्रांसफर हो जाए, जनप्रतिनिधि सोचता है मैं 5 साल के लिए हूं बाद में मेरा क्या ठिकाना में क्यों मेहनत करूं। परंतु वह यह भूल जाता है कि स्वच्छता की ताकत को कभी नजरअंदाज नहीं जा सकता परन्तु यह वह सत्य है स्वच्छता को जीवन भर याद रखा जाता है।

गुप्ता ने भारत में स्वच्छता में इमरजेंसी को लागू करने की भी आवश्यकता है आज शहरों में निकायों एवं ग्रामीण स्तर पर पंचायतो प्राथमिक दायित्व स्वच्छता है लेकिन दुर्भाग्य से यह मात्र कागजों में ही चमक रही है यहां यह आवश्यक है गंदगी फैलाने वाले लोगों पर भारी आर्थिक दंड लगाने का कानून बनाने के साथ-साथ सरकार एवं नागरिकों को मिलकर स्वच्छता पर काम करने की आवश्यकता है तथा सरकार द्वारा अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर नैतिक दबाव भी आवश्यक है। आज हम देख रहे हैं कि कूड़ा कचरा का सही प्रबंधन न होने की वजह से पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है आमजन गंदे पर्यावरण का शिकार होने से बीमारियों से ग्रसित हो रहा है तथा उसका जीना भी दुर्लभ हो रहा है। इसका सीधा प्रभाव आमजन के साथ-साथ टूरिस्ट पर भी पड़ता है आज टूरिस्ट साफ शहरों में ही जाना पसंद करता है। स्वच्छता को लेकर लापरवाही करने वाले के लिए सख्त सजा का प्रावधान -के के गुप्ता
यहां यह स्पष्ट है स्वच्छता को समझने की आवश्यकता है इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले समय में इसके दुष्परिणाम देखते होंगे। कानून में साफ प्रावधान है धारा 302 में एक व्यक्ति को मारने का प्रयास करने वालों को उम्र कैद हो सकती है परंतु गंदगी से होने वाली बीमारियां एवं उनसे मरने वालों के लिये जिम्मेदार बनाना होगा तब जाकर देश स्वच्छ बनेगा, समृद्ध बनेगा, विश्व गुरु बनेगा और विकसित भारत बनेगा। स्वच्छता सर्वेक्षण में जिन शहरों का कमजोर प्रदर्शन रहा है उनके अधिकारियो पर सरकार को सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए निकायों का प्रथम कार्य ही शहर को स्वच्छ, सुन्दर एवं हरा भरा बनाना है तथा स्वच्छता में घटिया प्रदर्शन करने वाले अधिकारियो को स्वच्छता हेतु प्रशिक्षण देने की भी आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी 2024 से पूर्व सभी तीर्थ स्थलों और मंदिरों को स्वच्छ बनाने का अभियान चलाया गया था। स्वच्छता की ताकत को समझाने का प्रयास प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री द्वारा समय-समय पर किया गया यह पवित्र कार्य है जहां देवी देवताओं का वास होता है आमजन स्वस्थ एवं लंबी उम्र तक जीता है गरीब को जीने का सहारा मिलता है।
स्वच्छता केवल रैंकिंग ही मापदंड नहीं है ये सरकारी अस्पताल के आंकड़ों को भी प्रभावित करती है शहर में गंदगी से होने वाली बीमारियां कितनी कम हुई यह भी स्वच्छता सुनिश्चित करती है। डूंगरपुर सरकारी अस्पताल में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 62% बीमारियां गंदगी से फैलने वाली बीमारियों से कमी हुई थी।

यहां यह आवश्यक है आज भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छता हेतु इतना बजट एवं कार्य करने पर भी शहर स्वच्छ नहीं हो रहे हैं जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, कचरा सड़कों पर फैल रहा है, जानवर कचरा खा रहे हैं, प्लास्टिक ने शहर की दुर्दशा कर रखी है, खाली प्लॉट गंदगी के अड्डे बने हुए हैं, बगीचे स्वच्छता के नाम पर आंसू बहा रहे हैं, कचरा यार्डो में कचरा बदबू मार रहा है, जगह-जगह कचरे में आग लगाई जा रही है, बगीचों में इंसान से ज्यादा कुत्ते घूम रहे हैं, सड़कों पर जानवर बसेरा बना रहा हैं।
उन्होंने गंदगी से फैलने वाली बीमारियां आमजन के विकास में बाधा बनी हुई है अगर आयुष्मान भारत योजना मैं खर्च होने वाली राशि करीब 3500 करोड़ रूपया ज्यादातर गंदगी से फैलने वाली बीमारियों पर खर्च हो रही है।

यहां स्वच्छता वह है जहां गंदगी नजर ना आए शहर में आने वाला हर व्यक्ति कहे “वाह क्या शहर है” बाग बगीचों में बच्चों की भीड़ हो, सड़के एवं नालियां साफ़ एवं सुदृढ़ हो तथा शहर में रहने वाला हर व्यक्ति अपने आप को गौरवान्वित महसूस करें जिस शहर की स्वच्छता के चर्चे न केवल अपने देश में हो अन्य देशों में भी उसके चर्चे स्वच्छता के होने चाहिए तथा हर व्यक्ति बोले यह देश के प्रधानमंत्री के विजन वाला शहर है।


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