नेत्रकुम्भ में राष्ट्रभक्ति और सेवा का संगम, 79वां स्वतंत्रता दिवस गर्व से मनाया गया

सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम, विभाजन की पीड़ा और राष्ट्र निर्माण पर रखे विचार

रामदेवरा (जैसलमेर)

लोकदेवता बाबा रामदेव नेत्रकुम्भ में सैकड़ों जातरूओं ओर प्रबन्धकों के बीच भारत के 79वे स्वाधीनता दिवस को गर्व ओर उल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर सीमा जागरण मंच के अखिल भारतीय संयोजक श्री मुरलीधर जी, सक्षम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री मनु भाई, राष्ट्रीय महासचिव श्री उमेश अंधारे जी व राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री चन्द्रशेखर जी उपस्थित रहे। आरम्भ में ठीक सुबह 8.30 बजे ध्वजारोहण हुआ और सभी ने राष्ट्रगान का गायन किया और गर्व से देश की शान तिरंगे को सलामी दी।

अपने उद्बोधन में सीमा जागरण मंच के श्री मुरलीधर जी ने कहा आज का दिन इतिहास को याद करने का है। हमारे पूर्वजों ने अविभाजित भारत को प्राप्त करने के लिए लड़ाई लड़ी थी, हमारी आजादी की लड़ाई अखण्ड भारत की स्वतन्त्रता के लिए थी लेकिन हमें स्वतन्त्रता से पूर्व विभाजन की विभीषिका को झेलना पड़ा हालाँकि आज का दिन उमंग, उल्लास और नये प्रण लेने का है लेकिन यह प्रश्न भी पूछा जाना चाहिए कि हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों ने भारत के विभाजन का विरोध क्यों नहीं किया ? क्यों किसी को भी देश के टुकड़े करने का जिम्मेदार नहीं ठहराया गया?

1947 की आजादी के तुरन्त बाद देश तोड़ने ओर कमजोर करने वाली ताकतों के बीज बो दिए गए थे। इन देशविरोधी ताकतों द्वारा नई पीढ़ी में देश के प्रति अश्रद्धा का भाव पैदा किया गया व हमारी संवैधानिक संस्थाओं का विरोध किया जाता रहा। देश मे लोकतन्त्र को खत्म कर आपातकाल को थोपा गया था। अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के देश के कानूनों को बदला गया ओर तोड़ा मरोड़ा गया था।

महर्षि अरविंद ने कहा था कि जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है वो समाज पिछड़ जाता है और वो सभ्यता विलुप्त हो जाती है। हमे हमारा इतिहास याद रहता तो आज से ज्यादा प्रगतिशील हमारा देश और समाज होता। आजादी के इतने वर्षों के बाद हमारी पीढ़ी सामान्य शिष्टाचार और नागरिक कर्तव्यों का पालन नहीं करती।
आज आजादी के इस पर्व पर हमें इन देश को तोड़ने वाली ताकतों के कुत्सित प्रयासों को समझना चाहिए और उनको मिटाना चाहिये। भारत के विभाजन की सही घटनाओं और पात्रों की कहानियाँ और घटनाओं को नई पीढ़ी को अवगत कराने की आवश्यकता है। हमारे देश मे आज भी कई लोग हैं जिन्होंने देश के विभाजन की घटनाओं को प्रत्यक्ष झेला है और उस उत्पीड़न को अनुभव किया है। सिंध से आये और सीमा क्षेत्रों में बसे लोग उस दर्दनाक दौर की पूरी कहानी भी नहीं सुना पाते क्योंकि उनकी सम्पति, मान-सम्मान और बहन बेटियों की साथ हुई ज्यादतियों को याद कर आज भी रो पड़ते हैं।

आज भारत की बागडोर सक्षम और कुशल नेतृत्व के हाथों में है। समाज और देश के लोगों मे देश के प्रति जाग्रति ओर समझ बढ़ी है। देश विरोधी ताकतों के मन मे घोर निराशा और हताशा है। आत्मनिर्भर भारत ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से किया है। देश अपनी कमजोरियों को दूर कर रहा है और अपने समकक्षों से बिना डरे आँख से आँख मिलाकर बात कर रहा है। हमने छोटे-छोटे जनभागीदारी के प्रयासों जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक पौधा माँ के नाम से दूरगामी लक्ष्यों को प्राप्त किया है। राष्ट्र की सुरक्षा का दायित्व केवल सेना के शौर्य से नहीं होगा बल्कि जागरूक समाज से भी होगा इसलिए हमारी जागरूकता ही हमारी स्वतन्त्रता और मजबूत भारत का आधार है।

कार्यक्रम के पश्चात उन्होंने नेत्रकुम्भ की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और स्वयं के नेत्रों की जाँच करवाकर इस त्रुटिरहित प्रभावी प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव लिया।

भारत सरकार की महारत्न कंपनी आयल इंडिया लिमिटेड के स्वतन्त्र निदेशक और भाजपा राजस्थान प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मोतीलाल मीणा व श्री सुनील गुप्ता चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी भी आज नेत्रकुम्भ महाजाँचशिविर में पधारे ओर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।

कल दिनांक 14 अगस्त को 2404 लोगो का पंजीकरण हुआ, 2353 लोगों को चिकित्सा परामर्श प्रदान किया गया व 1785 को निःशुल्क चश्में ओर 1797 रोगियों को दवाइयाँ प्रदान की गई।


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