भैरुन्दा/डोडियाना – रिपोर्टर गिरधारी लाल प्रजापति।
गांव डोडियाना में शुक्रवार को ईद मिलाद-उन-नबी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह करीब 9 बजे मुस्लिम समाज की मस्जिद से भव्य जुलूस प्रारंभ हुआ, जो गांव के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरा। इस दौरान हिंदू बहुल समाज के लोगों ने जुलूस का फूलों की बारिश और जलपान कराकर स्वागत किया।
हिंदू-मुस्लिम एकता का अद्भुत नजारा
गांव डोडियाना अपनी धार्मिक सोहार्द और भाईचारे की परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां हिंदू समाज के पर्वों पर मुस्लिम समुदाय सहयोग और स्वागत में कोई कमी नहीं रखता, तो वहीं मुस्लिम समाज के पर्वों पर हिंदू समुदाय पूरे उत्साह से स्वागत कर सौहार्द का संदेश देता है। आज के जुलूस में भी तमाम 36 कौम के लोग शामिल हुए और इस भाईचारे की मिसाल को मजबूत किया।

मौलाना का संदेश
मस्जिद के मौलाना मक़बूल अली ख़ान ने इस अवसर पर कहा कि ईद मिलाद-उन-नबी मुस्लिम समाज के लिए बेहद पवित्र दिन है। यह दिन पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे बारावफात भी कहते हैं, क्योंकि इस्लामी कैलेंडर के रबी-उल-अव्वल महीने की 12 तारीख को उनका जन्म हुआ था।
उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब की शिक्षाएं हमें इंसानियत, भाईचारे, अमन-शांति और बराबरी का संदेश देती हैं। उन्होंने फरमाया था – “सबसे अच्छा इंसान वही है, जो दूसरे इंसानों के लिए सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाने वाला हो।”
पर्व का महत्व और आयोजन
इस अवसर पर मस्जिदों को सजाया गया, जुलूस निकाले गए, नात-ए-पैग़म्बर पढ़ी गईं और मोहम्मद साहब की सीरत (जीवन यात्रा) पर विशेष कार्यक्रम हुए। समाजसेवी संगठनों ने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की। घर-घर मिठाइयाँ बांटी गईं और मोहब्बत का संदेश फैलाया गया।
असली पैग़ाम
ईद मिलाद-उन-नबी हमें सिखाती है कि मोहम्मद साहब की तरह अपने जीवन में सादगी, भाईचारा, दया, इंसाफ और समानता का भाव रखना चाहिए। यही इस त्यौहार का वास्तविक पैग़ाम है।
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