पादूकलां। कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है। लाल और काले मुंह वाले बंदरों के झुंड अब छतों, गलियों और खेतों में खुलेआम घूमते देखे जा सकते हैं। महिलाएं छतों पर कपड़े सुखाने से डर रही हैं, वहीं बच्चों को घर से बाहर निकलने देना भी खतरे से खाली नहीं है।
ग्रामीणों के अनुसार, कई बार बंदरों ने युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों पर अचानक हमला कर उन्हें घायल कर दिया है। बावजूद इसके, वन विभाग और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। शिकायत करने के बावजूद अधिकारी केवल आश्वासन देकर चुप बैठते हैं, जबकि बंदरों का आतंक दिन-ब-दिन भयावह रूप ले रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि बंदर अब घरों में घुसकर अनाज, दूध, फल और सब्जियां उठा ले जाते हैं। खेतों में चने और गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे किसान आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं और आमजन का रोजमर्रा का जीवन भी बाधित हो रहा है।
गांव के श्यामसुंदर, राकेश, दिनेश, सत्यनारायण और नौरत ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते वन विभाग और प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की है कि गांव में बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाए और ग्रामीणों को भय से मुक्ति दिलाई जाए।
स्थिति गंभीर, प्रशासनिक सतर्कता आवश्यक
बंदरों का यह बढ़ता आतंक केवल संपत्ति और फसल को ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर नियंत्रण न करने पर यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
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