पादूकलां। कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गुरुवार को गोपाष्टमी पर्व बड़ी श्रद्धा, आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातःकाल से ही घर-घर में गौमाता की विशेष पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया, वहीं विभिन्न गौशालाओं में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
महिलाओं ने सजाए पूजा थाल, गाए मंगलगीत
दुर्गा देवी उपाध्याय ने बताया कि महिलाओं ने सौला श्रृंगार कर पूजा की थालियां सजाईं और मंगलगीत गाती हुई गौशाला पहुंचीं। गौशाला में महिलाओं ने विधिवत गौपूजन, गौकथा श्रवण, परिक्रमा कर परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया। गौभक्तों ने गौमाता को लापसी, गुड़ एवं हरा चारा अर्पित कर गोसेवा का संकल्प लिया।
गौसेवा का संकल्प, हुआ महाआरती का आयोजन
देर शाम गौशाला परिसर में महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। श्रद्धालुओं ने गौमाता की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना करते हुए गौसंवर्धन और गो-रक्षा का संकल्प लिया। प्रवासी बंधुओं एवं दानदाताओं ने गायों के लिए लापसी, गुड़ व हरे चारे की सेवा व्यवस्था की।
धार्मिक मान्यता और पौराणिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण व बलराम ने पहली बार गौचारण लीला की थी और महर्षि शांडिल्य की आज्ञा से गौपूजन किया था। मान्यता है कि गाय के प्रत्येक अंग में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गौपूजन से समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
गौगाजी गौशाला के अध्यक्ष जितेन्द्र सोनी ने कहा कि “हर व्यक्ति को अपने घर में एक गाय अवश्य रखकर उसकी सेवा करनी चाहिए। गोपाष्टमी पर हमें गोसंवर्धन और गोसेवा का संकल्प लेना चाहिए, यही गो-रक्षा के लिए सार्थक कदम है।”
कस्बे व आसपास के गांवों में स्थित गौशालाओं में दिनभर भक्तिभाव का वातावरण और मेले जैसा उत्साह बना रहा। विशेष पूजा-अर्चना, गौकथा एवं आरती के आयोजन ने पर्व को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
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