स्थान: डूँगरपुर, राजस्थान संवाददाता: सादिक़ अली |
बांसवाड़ा-डूँगरपुर से लोकसभा सांसद राजकुमार रोत ने संसद के मानसून सत्र के दौरान नियम 377 के तहत भीलप्रदेश राज्य के गठन की मांग उठाई। इसके साथ ही उन्होंने संसद भवन परिसर में “भीलप्रदेश” का बैनर लेकर प्रदर्शन कर राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा।
संसद परिसर में भीलप्रदेश बैनर के साथ प्रदर्शन
राजकुमार रोत ने संसद भवन परिसर में देशभर के सांसदों की उपस्थिति में भीलप्रदेश का बैनर लेकर प्रदर्शन किया। संसद के मुख्य मकर द्वार पर खड़े होकर उन्होंने मीडिया से बातचीत की और राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर अलग राज्य “भीलप्रदेश” के गठन की मांग दोहराई।
“ये केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक हक की मांग है”
सांसद रोत ने कहा कि यह मांग केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि भील समाज के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक हक की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस क्षेत्र को चार राज्यों में विभाजित कर दिया गया, जिससे आदिवासी समाज को हाशिए पर धकेल दिया गया।
गोविंद गुरु के बलिदान और आदिवासी अस्मिता का सवाल
उन्होंने याद दिलाया कि गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील समाज ने आजादी से पहले ही बलिदान दिए थे और 1500 से अधिक शहीदों की कुर्बानी के बावजूद इस क्षेत्र को अब तक उसका हक नहीं मिला। रोत ने कहा कि झारखंड की तर्ज पर भील बाहुल्य जिलों को मिलाकर एक नए राज्य का गठन समय की मांग है।
संस्कृति, भाषा और स्वायत्तता के लिए संघर्ष
सांसद ने कहा कि भील समाज की अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति और परंपराएं हैं, जिन्हें संरक्षित करने के लिए प्रशासनिक स्वायत्तता आवश्यक है। आदिवासी समाज लंबे समय से इन मुद्दों को लेकर संघर्षरत है और अब देश को उनकी आवाज सुननी होगी।
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