डूँगरपुर/सागवाड़ा
राउमावि पुनर्वास कॉलोनी, सागवाड़ा के सभागार में वागड़ी भाषा पर चौथी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका संयोजन वागड़ी भाषा कार्यशाला संयोजक दिनेश प्रजापति ने किया। इस कार्यशाला में डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर के साहित्यकारों, वागड़ी प्रेमियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में भामाशाह राधेश्याम पाटीदार सेमलिया घाटा ने सहयोग दिया। इसका मुख्य विषय था “कारक और विभक्तियों व क्रियाओं पर चर्चा और वागड़ी भाषा में इनके सर्वमान्य प्रयोग”।
प्रथम सत्र में दिनेश प्रजापति ने चौथी कार्यशाला कार्यक्रम के उद्देश्य और निहितार्थ बताए। द्वितीय सत्र में वरिष्ठ गीतकार व साहित्यकार उपेंद्र अणु (ऋषभदेव) ने पिछले तीनों कार्यशालाओं का समेकन प्रस्तुत किया और हिंदी कहानियों को वागड़ी भाषा में अनुवाद करते समय आने वाली कठिनाइयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वागड़ी भाषा की पठनीयता और सरलता बनाए रखने के लिए क्रियाओं में एकरूपता बेहद ज़रूरी है।

तृतीय सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पंचाल ने उपेंद्र अणु द्वारा दिए गए वागड़ी शब्द चार्ट के आधार पर वाक्यों का व्यावहारिक प्रयोग समझाया। उन्होंने कहा कि वागड़ी की अस्मिता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए और इसका धरातलीय सौंदर्य बनाए रखना आवश्यक है।
चतुर्थ सत्र में इतिहासकार घनश्याम सिंह प्यासा (बांसवाड़ा) और साहित्यकार भविष्य दत्त भविष्य (ऋषभदेव) ने भाषा विज्ञान और शब्दकोश निर्माण पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार भोगीलाल पाटीदार, हर्षिल पाटीदार, मयंक मीत, हरिश्चंद्र सिंह गनोड़ा, छत्रपाल शिवाजी, सुनील पंड्या, रमेशचंद्र चौबीसा अंतिया, डॉ. ममता पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार, मार्तंड पाटीदार और मधुरित भट्ट सहित कई साहित्यकार व शोधार्थी उपस्थित रहे।

कार्यशाला का संचालन संयोजक दिनेश प्रजापति ने किया और प्रदीप सिंह चौहान (चिखली) ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला हेतु सभागार उपलब्ध करवाने पर राउप्रावि पुनर्वास कॉलोनी सागवाड़ा के प्रधानाचार्य डायालाल पाटीदार का आभार व्यक्त किया गया।
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