स्थान: सांभरझील रिपोर्टर: डब्लू. गोस्वामी
सांभर शहर में झंडे की गली में लगे एक गेट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह गेट स्थानीय पार्षदों और गलीवासियों की लिखित सहमति से लगाया गया था, लेकिन नगरपालिका के सफाई निरीक्षक विनोद पारीक ने बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के अचानक गेट को उखाड़ दिया।
स्थानीय निवासी और माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष गोविंद मांदना के अनुसार, यह गेट आवारा जानवरों और चोरी-चकारी से बचाव के लिए लगाया गया था। गेट लगाए जाने से पहले पार्षद धर्मेंद्र जोपट, सलीम मोहम्मद, बाबूलाल सांभरिया और विजय प्रजापत ने मौके का निरीक्षण कर लिखित सहमति दी थी।

महिला से दुर्व्यवहार का आरोप, प्रशासन मौन
घटना के वक्त गोविंद मांदना घर पर नहीं थे। उनकी पत्नी ने बताया कि जब पालिका टीम गेट तोड़ रही थी, तब उन्होंने आपत्ति जताई। लेकिन सफाई निरीक्षक ने उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनका हाथ पकड़कर उन्हें रास्ते में गिरा दिया। इस दौरान टीम में कोई महिला कार्मिक मौजूद नहीं थी।
स्थानीय जनता और समाज के लोगों का कहना है कि यह एक महिला के साथ अनुचित व्यवहार है और इसमें प्रशासन की निष्क्रियता चिंताजनक है।

जर्जर भवनों पर नहीं हुई कार्रवाई
माहेश्वरी समाज के लोगों का आरोप है कि झंडे की गली में चार जर्जर भवन वर्षों से खड़े हैं, जो किसी भी वक्त गिर सकते हैं और जनहानि का कारण बन सकते हैं। इन भवनों की शिकायत गोविंद मांदना द्वारा पहले ही नगरपालिका व एसडीएम कार्यालय में की जा चुकी है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह पूरा प्रकरण राजनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम है। एक पड़ोसी, जो अब यहां नहीं रहता और सिर्फ कुछ महीनों में एक बार आता है, उसकी शिकायत पर तात्कालिक कार्रवाई कर दी गई, जबकि स्थायी निवासियों की सहमति और सुरक्षा की आवश्यकता को दरकिनार कर दिया गया।
प्रशासन से जवाब की मांग
जनता ने सवाल उठाया है कि क्या एक सफाई निरीक्षक को बिना नोटिस इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार है? महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार पर प्रशासन की चुप्पी क्या दर्शाती है? और आखिर जर्जर भवनों पर अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
अब यह देखना होगा कि नगर पालिका व प्रशासन इस विवाद में किस तरह का रुख अपनाते हैं और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए कौन से कदम उठाते हैं।
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