Tuesday, October 28, 2025
Homeजिला वार खबरेजैसलमेरथार में पहुंची डेमोइसल सारस — प्रवासी ‘कुरजां’ ने सजाई रेगिस्तान की...

थार में पहुंची डेमोइसल सारस — प्रवासी ‘कुरजां’ ने सजाई रेगिस्तान की रौनक

सर्द हवाओं के साथ थार में प्रवासी डेमोइसल सारस (कुरजां) का आगमन। जैसलमेर–पोकरण क्षेत्र में विदेशी पक्षियों ने बढ़ाई रौनक। लोकसंस्कृति में कुरजां का विशेष स्थान।

पोकरण / जुगल किशोर बिस्सा,

थार मरुस्थल सर्द हवाओं के साथ एक बार फिर विदेशी मेहमानों की मेजबानी में सज उठ गया है। आकाश में उड़ते हुए कतारबद्ध प्रवासी पक्षियों का मनमोहक दृश्य इन दिनों जैसलमेर, पोकरण, रामदेवरा, लाठी, खाबा और डेगराय ओरण के समीपस्थ जलाशयों पर साफ दिखाई दे रहा है। डेमोइसल सारस, जिसे स्थानीय भाषा में ‘कुरजां’ कहा जाता है, ने थार की रेत में फिर से जीवन और उल्लास की लहर भर दी है।


हजारों किलोमीटर का जोखिम भरा प्रवास

वन्यजीव एवं पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह सातवां ने बताया कि कुरजां एक अत्यंत संवेदनशील और साहसी प्रवासी पक्षी है। हर वर्ष ये मध्य एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया, ईरान और अफगानिस्तान से लगभग 4,000 से 8,000 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर राजस्थान पहुंचते हैं।
यह प्रवास आसान नहीं होता। रास्ते में कठोर मौसम, शिकारी पक्षी, तेज हवाएं और भोजन–पानी की कमी जैसे कई खतरे इनका पीछा करते हैं। इसके बावजूद इनका सामूहिक अनुशासन और उड़ान–व्यवस्था प्रकृति का अद्भुत करिश्मा माना जाता है।


नवंबर से अप्रैल तक रहता है डेरा

जानकारों के अनुसार, यह प्रवास मुख्यतः नवंबर माह से शुरू होकर अप्रैल तक जारी रहता है। इस दौरान ये थार के शांत और खुले जल स्रोतों के आसपास भोजन, विश्राम और प्रजनन गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सप्ताह से स्थानीय तालाबों पर कुरजां के दर्जनों झुंड उतरने लगे हैं, जिससे सुबह और शाम का दृश्य अत्यंत मनोहारी बन गया है।


राजस्थान की लोकसंस्कृति में रचा-बसा ‘कुरजां’

राजस्थान की लोकमानस और भावनात्मक संस्कृति में ‘कुरजां’ का अद्भुत स्थान है। यह पक्षी प्रेम, विरह, उम्मीद और संदेश का प्रतीक माना गया है।
आज भी ग्रामीण अंचलों में जब कोई प्रेमगीत गूंजता है तो उसमें अक्सर कुरजां का उल्लेख अनिवार्य रूप से मिलता है। मशहूर लोकगीत —

“कुरजां संदेशो लेती जाईजे रे…”

सदियों से राजस्थानी लोकगीतों और लोककथाओं में भावनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम रहा है। परंपरा है कि पुराने समय में युवक–युवतियाँ अपने प्रेम–संदेश कुरजां के पंखों पर लिखकर एक-दूसरे तक पहुँचाते थे। इसी वजह से यह पक्षी राजस्थान की लोककथाओं में ‘प्रेम–दूत’ के रूप में प्रतिष्ठित है।


पर्यावरणीय संतुलन और जैव–विविधता का पैमाना

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवासी पक्षियों का नियमित आगमन किसी भी क्षेत्र की कृषि, पर्यावरणीय स्थिति और जैव-विविधता के लिए शुभ संकेत है।
कुरजां जहां ठहरते हैं, वहां जल स्रोतों का स्वास्थ्य, स्वच्छ वातावरण और जैविक चक्र सक्रिय हो उठते हैं। इनके आने से थार के जीव–जंतुओं में भी नई उर्जा और सामंजस्य दिखाई देता है।


स्थानीय समुदाय निभाता है मेजबान की भूमिका

थार में ग्रामीण समाज इन प्रवासी पक्षियों को अतिथि मानकर उनका सम्मान करता है। कई स्थानों पर गांवों के लोग अपने स्तर पर अनाज और दाना डालकर इनका स्वागत करते हैं। इससे मनुष्य और प्रकृति के बीच अनोखा संबंध देखने को मिलता है।
कुछ गावों में तो इनके आगमन पर विशेष लोक–अनुष्ठान और स्वागत गीत गाए जाते हैं।


चुनौतियाँ भी कम नहीं — संरक्षण जरूरी

हालांकि विशेषज्ञों ने चेताया कि बढ़ते शहरीकरण, जलस्रोतों के सूखने, प्रदूषण और अवैध शिकार जैसे खतरों के चलते इन प्रवासी पक्षियों को अब पहले जैसी सुरक्षित उड़ान नहीं मिल पाती।
मौसम परिवर्तन के कारण प्रवास का समय और संख्या में हल्की गिरावट के संकेत भी देखे गए हैं। ऐसे में जलस्रोतों का संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और संवेदनशीलता की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।


कुरजां के बारे में कुछ खास तथ्य

तथ्यविवरण
वैज्ञानिक नामGrus virgo
स्थानीय नामकुरजां / कुरजा
प्रवास दूरीलगभग 4,000–8,000 किमी
आने का समयनवंबर से शुरू
लौटने का समयमार्च–अप्रैल
मूल क्षेत्रसाइबेरिया, मध्य एशिया, मंगोलिया, ईरान, अफगानिस्तान
प्रतीकवादप्रेम, विरह, संदेशवाहक, सौभाग्य

थार में कुरजां का आगमन केवल मौसमी बदलाव का संकेत भर नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव संवेदनाओं के अनूठे संगम की कहानी भी है। इन प्रवासी पक्षियों के कलरव से जहां रेगिस्तान की नीरवता में जीवन का संचार होता है, वहीं लोकगीतों से लेकर लोकमानस तक इनका गहरा जुड़ाव राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का गौरव बढ़ाता है। यदि स्थानीय समुदाय और प्रशासन मिलकर प्राकृतिक जलस्रोतों व आवास स्थलों का संरक्षण सुनिश्चित करें, तो आने वाली पीढ़ियों को भी हर वर्ष कुरजां के स्वागत का सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा।


Discover more from THAR CHRONICLE

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

RELATED ARTICLES

Leave a Reply

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments