कुलदीप छंगाणी : जैसलमेर (पोकरण)
जैसलमेर के पोकरण में मंगलवार को मानसून की पहली अच्छी बारिश हुई, जिसके बाद लोगों के चेहरों पर खुशी की लहर देखी गई। लेकिन यह खुशी उन्हीं लोगों के चेहरों पर थी, जिनके पास रहने को पक्का मकान है और उस पर पक्की छत बनी हुई है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं, क्योंकि इनके झोपड़ों में फिलहाल पानी भर चुका है, जिसके बाद वे सड़क पर आ चुके हैं।
पोकरण की लोढ़ा कॉलोनी में एक कच्चा झोपड़ा बनाकर मध्यप्रदेश के उज्जैन से आए 36 वर्षीय दिहाड़ी मज़दूर सज्जन का झोपड़ा बारिश के बाद पूरी तरह पानी से भर गया है, जिससे उसके झोपड़े में रखा बिस्तर व अन्य सामान भी पूरी तरह भीग गया है।
सज्जन थार क्रॉनिकल को बताते हैं कि,"मैं करीब दो महीने पहले अपनी पत्नी रूपा के साथ मज़दूरी के लिए पोकरण आया था । यहां हमने मज़दूरों की बस्ती के बीच करीब 5000 रुपए खर्च कर एक झोपड़ा बनाया था। आज सुबह हम दोनों काम पर गए थे, पीछे बारिश हो गई और झोपड़े में पानी भर गया, जिससे अंदर रखा हुआ राशन सहित कपड़े और बिस्तर सब पानी से खराब हो गया। फिलहाल सज्जन झोपड़े के आगे बनी सड़क पर सारा सामान लेकर बैठे हैं और राह चलते लोगों से किराए पर एक कमरा दिलवाने की गुहार कर रहे हैं।"
जब थार क्रॉनिकल की टीम ने सज्जन को रैन बसेरे में पहुंचाने की बात कही, तो वे कहते हैं, रैन बसेरा यहां से बहुत दूर है। सुबह मुझे मज़दूर मंडी में जाकर बैठना होता है, जहां से लोग मुझे मज़दूरी के लिए ले जाते हैं। अगर दूर चला गया तो सुबह काम नहीं मिलेगा।
गौरतलब है कि लोढ़ा कॉलोनी के पास ही हनुमान चौक है, जहां सुबह दिहाड़ी मज़दूर काम की तलाश में बैठते हैं।

पोकरण में ऐसे सैकड़ों झोपड़े हैं, जिनमें इस वक्त पानी भर चुका है और उनमें रहने वाले हर परिवार या व्यक्ति पर वही बीत रही है, जो सज्जन और उनकी पत्नी रूपा पर बीती। झोपड़ों में पानी भर चुका है, रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ रही है और बारिश कभी भी दोबारा हो सकती है। लेकिन इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है ।
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