Sunday, August 10, 2025
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क्या सच मे गौचर भूमि से चांदी कूट रहे पटवारी,गौचर भूमि पर दबंगो का कब्जा संबंधित विभाग सोए कुम्भकर्णी नींद मे।

रिपोर्ट – रणजीत मेघवाल झालावाड़

झालावाड़। देश को आजाद हुए लगभग 7 दशक से अधिक होनें वाला हैं लेकिन क्षेत्र के किसान आज भी तहसील को पवित्र स्थल समझ कर नंगे पैर पवित्रता का दर्जा देकर तहसील में प्रवेश करते हैं लेकिन उस पाक दर्जे को राजस्व विभाग के कर्मचारियों व अधिकारी ही नापाक करने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर राज्य के मुख्य सचिव राजस्व मंडल जिला कलक्टर आदि की ओर से आए आदेशों के बावजूद भी राजस्व विभाग चारागाह और सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कर सका। जो विभाग और अतिक्रमियो की सांठ गांठ को दर्शाती है। गंगधार उपखंड क्षेत्रो मे सैकड़ो बीघा चारागाह व सरकार भूमि को अतिक्रमियो ने अपनी गिरफ्त में ले रखा है।

बस कागजों में होते बेदखल
चारागाह भूमि की सालाना रिपोर्ट पटवारी द्वारा उप तहसील और तहसील में पेश होती है। इस पर चारागाह अधिनियम के तहत दस्तावेजों में खानापूर्ति कर भूमि को कागजों में अतिक्रमण से मुक्त कर देते हैं जबकि मौके पर अतिक्रमण यथावत रहता है।

यह है कारण
राजस्व विभाग के कर्मचारी अतिकर्मियों से सांठ गांठ कर मात्र जुर्माना लगाकर अपने कार्यों की इती श्री कर देते हैं। जो की ठोस कार्रवाई के अभाव को दर्शाता है जबकि कार्यपालक मजिस्ट्रेट की हैसियत से तहसीलदार चारागाह अधिनियम के अनुसार अतिक्रमियो से जुर्माना वसूलने के साथ-साथ तीन माह तक जेल भी भेज सकते हैं। लेकिन प्रदत्त शक्तियों को अमल में नहीं लाने से अतिक्रमियो के हौसले बुलंद है। क्षेत्र के दर्जनों गांवो मे गौ चारागाह से अतिक्रमण हटाने के विरोध मे एसडीएम व तहसीलदार को कई ज्ञापन दिए जाते है पर वह एसडीएम कार्यालय व तहसीलदार तक ही सीमित रह जाते हैं।

ज्ञापन भी सिर्फ ‘औपचारिकता’ बनकर रह गए

ग्रामीण गौचारागाह से अतिक्रमण हटाने के लिए ज्ञापन देते है तो पटवारी व राजस्व विभाग गौचारागाह से अतिक्रमण हटाने के बजाय ग्रामीणों के गौ चारागाह मे बने मकानों को ही नोटिस देनें के द्वारा ही धमका दिया जाता है। जिससे गांव वाले के आपस मे ही विवाद बढ़ जाता है जिससे पटवारी व राजस्व विभाग की कार्रवाही वही ख़त्म हो जाती है। आखिर यह कब तक चलेगा गो वंशो को न्याय मिलेगा या नहीं गौवंशो की हालत क्षेत्र मे बहुत ही दयनीय हो गई है कभी गौवंश दुर्घटनाओ का शिकार होती है तो कभी भूख प्यास के कारण मर जाती है। वही कही गांव मे तो मवेशीयों के शव को फेकने की जगह तक नहीं बच पाई है अतिक्रमियों द्वारा रास्ता तक बंद कर दिया जाता है।

ग्रामीण भी अपनी गलतियों से लाचार

आपको बता दे कि जानकारी के अभाव में क्षेत्र के कई ग्रामीणों ने अपने पक्के मकान चारागाह भूमि पर बना लिए एव वर्षों से इनमें निवास कर रहे हे, वही यही ग्रामीण जब ज्ञापन देकर गांव में चारागाह भूमि पर हो रही खेती के खिलाफ ज्ञापन देते हे तो अधिकारी कर्मचारी इन्हें इनके मकान चारागाह से हटाने का नोटिस देकर डरा धमका देते हे और चारागाह भूमि सांठगांठ से बदस्तूर खेती के काम आती रहती हे।अब देखना यह है की गौचर भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाही करते है या नहीं।

वही इस सम्बन्ध मे तहसीलदार जतिन दिनकर से फ़ोन के द्वारा सम्पर्क किया तो तहसीलदार के द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।

इनका कहना है
हमने जाप्ता मांगा है और जाप्ता नहीं मिला इसलिए अतिक्रमण नहीं हट सका वापिस 3 -4 दिन का समय देकर जाप्ता मांग लेंगे अधिक जानकारी के लिए तहसीलदार से बात करें।
छत्रपाल चौधरी उपखण्ड अधिकारी गंगधार

अभी मोहर्रम चल रहा है मोहर्रम के बाद तारीख डिसाइड करके मौका देखेंगे की क्या स्थिति है कितने जाप्ते की आवश्यकता है उसके बाद जाप्ता भेज देंगे
अमरनाथ जोगी गंगधार थाना प्रभारी


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