जैसलमेर
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपने दो दिवसीय जैसलमेर प्रवास के दौरान शुक्रवार को विश्वविख्यात तनोट राय माता मंदिर पहुंचे। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और बैटल एक्स कमांडर मेजर जनरल आशीष खुराना भी मौजूद रहे।

तनोट माता मंदिर पहुँचने पर रक्षामंत्री का स्वागत सीमा सुरक्षा बल (BSF) के उप महानिरीक्षक जतिंदर सिंह बिन्जी, समादेष्टा नीरज शर्मा और सहायक समादेष्टा विकाश नारायण सिंह ने किया।
मंदिर परिसर में राजनाथ सिंह ने तनोट राय माता की पूजा-अर्चना की और महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। इसके बाद उन्होंने मन्शा माता मंदिर के पास स्थित खेजड़ी के पेड़ पर रुमाल बांधकर मनोकामना व्यक्त की, जो तनोट आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी परंपरा मानी जाती है।

दौरे के दौरान रक्षामंत्री ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा मंदिर परिसर पर गिराए गए अविस्फोटित बमों को भी देखा। उन्होंने कहा कि,
“तनोट माता के दर्शन करके मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ, यह स्थान भारतीय सैनिकों की आस्था, साहस और शक्ति का प्रतीक है। तनोट माता के दर्शन से मेरा जीवन धन्य हुआ है।”
राजनाथ सिंह ने सीमा सुरक्षा बल के जवानों से बातचीत कर उनके कार्य और दायित्वों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा में BSF की भूमिका अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक है। उन्होंने जवानों के समर्पण, निष्ठा और अनुशासन की प्रशंसा करते हुए उन्हें राष्ट्र की सच्ची ताकत बताया।
तनोट माता मंदिर धार्मिक ही नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ 1965 और 1971 के युद्धों में भारतीय सैनिकों की बहादुरी और तनोट माता की कृपा से कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुईं। आज भी मंदिर परिसर में रखे वे बम, जो युद्ध के समय नहीं फटे थे, इस स्थान की चमत्कारिक आस्था के साक्षी हैं।
रक्षामंत्री के इस दौरे से सीमावर्ती इलाकों में देशभक्ति और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने भी उनके आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की और तनोट माता के जयकारे लगाए।
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