बयाना।
बयाना शहर इन दिनों ओवरलोडिंग ट्रकों की चपेट में आ चुका है। दिन-दहाड़े पत्थरों से भरे भारी-भरकम वाहन न केवल ट्रैफिक नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं, बल्कि आम लोगों की जान के लिए भी बड़ा खतरा बन गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन ट्रकों पर पुलिस, खनिज विभाग और वन विभाग की नजर क्यों नहीं पड़ रही? या फिर यह खामोशी किसी मिलीभगत की ओर इशारा करती है?
रोयल्टी ठेकेदार पर उठ रहे सवाल
स्थानीय नागरिकों और टेम्पू चालकों का आरोप है कि शहर में धड़ल्ले से दौड़ते ओवरलोड ट्रक, रोयल्टी ठेकेदार की मिलीभगत से ही चल रहे हैं। कुंडा, गांधी चौक, पंचायत समिति से लेकर भीमनगर तक दिनभर इन ट्रकों की आवाजाही बनी रहती है। खासकर स्कूल समय में बच्चे जिस रास्ते से घर लौटते हैं, उन्हीं रास्तों से तेज रफ्तार में गुजरते ट्रक हर दिन अनहोनी की आशंका को बढ़ा देते हैं।
गांधी चौक पर रोजाना जाम
गांधी चौक अब ट्रैफिक जाम का अड्डा बन चुका है। दुकानदार, टेम्पू चालक और राहगीर इन ओवरलोडिंग ट्रकों से परेशान हैं। उनका कहना है कि मेन कुंडा से लेकर भीमनगर तक सड़कों पर दौड़ते ये ट्रक जानलेवा रफ्तार का खतरा बने हुए हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सबसे हैरानी की बात यह है कि बयाना थाने और वन विभाग कार्यालय के सामने से होकर गुजरने वाले ट्रकों पर न कोई रोक है और न ही कोई जांच। लोगों का सवाल है कि जब सब कुछ अधिकारियों की आंखों के सामने हो रहा है तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
“सेटिंग” में दबा कानून?
स्थानीय लोगों का मानना है कि रोयल्टी ठेकेदार और खनिज विभाग के बीच गहरी साठगांठ है। यही वजह है कि न तो पत्थरों की अवैध ढुलाई रुक रही है और न ही ओवरलोडिंग पर कार्रवाई हो रही है। नियम सिर्फ कागजों में ही नजर आते हैं।
जनता की माँग
निवासियों ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही, रोयल्टी ठेकेदार की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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