कुलदीप छंगाणी : पोकरण
जैसलमेर जिले का पोकरण कस्बा अपने लाल मिट्टी से बने हस्तशिल्प उत्पादों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है
यहां की कुम्हार जाति इस काम को वर्षों से करती आ रही है । दीपावली के समय इनके बनाए उत्पादों जैसे दीपक और सजावटी सामानों की मांग बढ़ जाती है । लेकिन इस बार लगता है पोकरण के रहने वाले हीरालाल कुम्हार की दीपावली अंधेरे में गुजरने वाली है । जिसके जिम्मेदार बिजली विभाग के वो अधिकारी होंगे जो मोटी तनख्वाह लेकर डींगे हाकते है कि हम शहर की विद्युत व्यवस्था को सुचारू रख रहे है ।

दरअसल पोकरण के आईटीआई कॉलेज के पास अपना एक छोटा सा मकान बनाकर रह रहे हीरालाल के मकान में पिछले दस दिन से बिजली नहीं है जिसकी वजह से इस दीपावली के सीजन में भी उसकी चाक बंद पड़ी है और वह अपने काम को नही कर पा रहा । करीब 35 वर्षीय हीराराम ने बताया कि आज से 10 दिन पहले एक ट्रक उसके घर के आगे से गुजरा तो ऊपर से जा रही विद्युत लाईन और विद्युत पोल ट्रक वाले की लापरवाही की वजह से टूट गई जिसके बाद उसके घर की बत्ती गुल है ।
हीराराम ने बताया कि उसने इसकी शिकायत बिजली विभाग के अधिकारियों को कई बार कर दी है लेकिन अभी तक उसके घर की विद्युत आपूर्ति सुचारू नही हो पाई । हीराराम बताते है कि अब तो बिजली विभाग के अधिकारी मनीष कुमार फोन तक नही उठा रहे ।

थार क्रॉनिकल ने भी बिजली विभाग के जेईएन मनीष कुमार को कल यानी 8 तारीख को कॉल करके पूरे मामले की जानकारी से अवगत करवाया था और गरीब परिवार के घर में रौशनी लाने की अपील की थी बावजूद इसके मनीष मीणा ने इस तरफ कोई ध्यान नही दिया और आज दिन तक हीरालाल और उसका परिवार अंधेरे में रहने को मजबूर है । अब सवाल उठता है कि अगर घटना किसी बड़े फैक्ट्री के मालिक या धन्ना सेठ के घर पर होती तब भी क्या अधिकारी ऐसे ही चैन की नींद सो रहे होते ?क्या मनीष कुमार या अन्य ज़िम्मेदार व्यक्ति खुद 10 दिन इस तरह बिना बिजली के रह सके है अगर नही तो एक गरीब के साथ ऐसा अन्याय क्यों
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