पादूकलां, नागौर
कस्बे सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों में मंगलवार को सावन मास की पुत्रदा एकादशी पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर बस्सी की ढाणी स्थित श्री श्याम मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन को पहुंचे।
सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर धोक लगाकर अपने परिवार और राष्ट्र की खुशहाली की कामना करते नजर आए। हाथों में निशान लेकर “जय श्री श्याम” के जयकारों के साथ भक्त मंदिर तक पैदल यात्रा करते हुए पहुंचे। मंदिर समिति द्वारा सभी भक्तों का पारंपरिक दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया।

धार्मिक विधानों का महत्व
मंदिर के पुजारी पंडित पुखराज शास्त्री ने बताया कि सावन मास की पुत्रदा एकादशी का धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और जो महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से राजा महीजीत महिष्मति को भी पुत्र की प्राप्ति हुई थी। साथ ही, व्रत रखने से मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति भी मानी गई है।
नगाड़ा वादन की विशेष प्रस्तुति
कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रही प्रसिद्ध नगाड़ा वादक नाथूलाल सोलंकी की प्रस्तुति। उन्होंने अपनी टीम के साथ मंदिर परिसर में नगाड़ा बजाकर बाबा श्याम की महिमा का गुणगान किया और उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
मंदिर समिति द्वारा सोलंकी को बाबा श्याम का दुपट्टा पहनाकर व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

समाजसेवा भी साथ-साथ
शिशु निकेतन स्कूल, मेड़ता एवं प्रभाकर परिवार द्वारा दो व्हीलचेयर मंदिर समिति को भेंट की गईं, जिससे दिव्यांग भक्तों को सहज दर्शन का लाभ मिल सके। यह सेवा कार्य भी कार्यक्रम का एक प्रेरणादायक पहलू रहा।
भजन-कीर्तन और महिला सहभागिता
महिला मंडल द्वारा प्रस्तुत किए गए भजन-कीर्तन ने भक्तिमय वातावरण में चार चांद लगा दिए। मंदिर में नारियल भेंट कर महिलाओं ने परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना की।
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