देश का इकलौता स्कूल, जहां कक्षा नहीं बल्कि खतरा ले रहा है शिक्षा का इम्तिहान

छात्र खुले आसमान के नीचे, जर्जर भवन में पढ़ाई; 350 छात्रों पर केवल 5 स्टाफ

📍 जेरिया (राजस्थान) | रिपोर्टर - गिरधारी लाल प्रजापति

एक ओर जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए अरबों खर्च कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी सच्चाई आज भी बदहाल है। राजस्थान के फलोदी जिले के जेरिया गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जेरिया इसका चौंकाने वाला उदाहरण है।

यहां विद्यालय की इमारत इतनी खस्ताहाल है कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। बारिश के मौसम में छतें टपकती हैं, छत के पट्टों में गहरी दरारें हैं और भवन पूरी तरह जर्जर अवस्था में है। कक्षा-कक्षों की कमी के कारण बच्चे धूप और पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

विद्यालय में कुल 12 कक्षाएं संचालित हो रही हैं लेकिन सिर्फ 7 कक्षाएं ही उपलब्ध हैं, वो भी पूरी तरह से खंडित और असुरक्षित हैं।

केवल 5 कर्मचारी, 350 छात्र

विद्यालय में 350 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, और ये संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन इस पूरे विद्यालय को केवल 5 कार्मिकों के सहारे चलाया जा रहा है। 2021-22 में विद्यालय के क्रमोन्नत होने के बावजूद विषयाध्यापकों के पद आज तक स्वीकृत नहीं हुए, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह रामभरोसे चल रही है।

गांव में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन और शिकायतें देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

समाजसेवी घनश्याम प्रजापति, छात्रनेता प्रकाश प्रजापति, जीतेंद्र सिंह, मनोहर सिंह, ख़मान सिंह, स्वरूप सिंह और अन्य ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो विद्यालय पर तालाबंदी कर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

यह स्थिति न केवल शिक्षा की दुर्दशा को दर्शाती है, बल्कि सरकारी दावों की भी पोल खोलती है।


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